वित्त मंत्री नाला सरन ने लोकसभा में नया टैक्स बिल पेश किया है। इस विधेयक को लेकर विशेष समिति गठित की गई है, जो इसकी समीक्षा करेगी और फिर इसे संसद में दोबारा पेश किया जाएगा। इस नए टैक्स बिल में कई अहम बदलाव किए गए हैं, जिससे देश की कर व्यवस्था को सरल और प्रभावी बनाने की कोशिश की गई है।
प्रमुख बदलाव:
टैक्स बिल का आकार घटाया गया – नए बिल में 23 अध्याय, 530 से अधिक धाराएँ और 16 अनुसूचियां शामिल की गई हैं। पहले 800 से अधिक अनुसूचियां थीं, जिन्हें कम कर दिया गया है।
टैक्स ईयर की नई परिभाषा – अब ‘असेसमेंट ईयर’ और ‘फाइनेंशियल ईयर’ की जगह ‘टैक्स ईयर’ का उपयोग किया जाएगा, जिससे कर प्रक्रिया आसान होगी।
वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) का स्पष्टिकरण – क्रिप्टोकरेंसी और अन्य डिजिटल संपत्तियों की कर देयता को लेकर नए प्रावधान जोड़े गए हैं। हालांकि, कर की दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
पुरानी टैक्स व्यवस्था बरकरार – नए टैक्स सिस्टम के साथ पुरानी कर व्यवस्था भी जारी रहेगी, जिससे करदाताओं को अपनी योजनाएं बनाने में अधिक लचीलापन मिलेगा।
आकलन अधिकारियों के अधिकार – नए विधेयक में आकलन अधिकारियों को पहले से मिले अधिकारों को बरकरार रखा गया है। वे कर रिटर्न की समीक्षा, टीडीएस और अन्य कर संबंधी मामलों की जांच जारी रख सकेंगे।
विवाद समाधान प्रक्रिया में बदलाव – नए कानून में कर विवादों को कम करने पर जोर दिया गया है। मौजूदा समय में 5.6 लाख मामले लंबित हैं, जिनकी कुल राशि 10.4 ट्रिलियन रुपये है।
नया बिल मौजूदा समस्या का हल
विशेषज्ञों के अनुसार, यह विधेयक मौजूदा टैक्स कानूनों को सरल बनाने की दिशा में एक कदम है। हालांकि, कर विवादों के निपटारे और मौलिक नीति परिवर्तनों की अपेक्षा रखने वालों को अधिक इंतजार करना पड़ सकता है।
नए टैक्स बिल को लेकर संसद और कर विशेषज्ञों के बीच चर्चा जारी है। अब देखना होगा कि इसे लागू करने के बाद करदाताओं और सरकार को कितनी राहत मिलती है।