प्रयागराज महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं का भारी जमावड़ा हो रहा है, जहां अब तक 54 करोड़ से ज्यादा लोग गंगा और यमुन में स्नान कर चुके हैं। इस बीच केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट ने एक चिंता का कारण बना दिया है, जिसमें नदियों के पानी की गुणवत्ता पर सवाल उठाए गए हैं।
CPCB द्वारा 3 फरवरी की एक रिपोर्ट में पाया गया कि गंगा और यमुनाओं का पानी स्नान के लिए सुरक्षित नहीं है। इन नदियों के विभिन्न स्थानों से लिए गए पानी के नमूनों में सीवेज की मात्रा अधिक पाई गई। खासतौर पर, फेकल कोलीफॉर्म की मात्रा मानक से कहीं अधिक पाई गई। इसका मतलब है कि इन नदियों का पानी शुद्ध नहीं है और इसे नहाने के लिए सुरक्षित नहीं माना जा सकता।
गंगा और यमुनाओं के पानी में अधिक फेकल कोलीफॉर्म पाया गया है, जो पानी में सीवेज के मिश्रण का संकेत है। प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा कर सकता है, खासकर जब इतनी बड़ी संख्या में लोग स्नान करने आते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 100 मिलीलीटर पानी में 2500 यूनिट से ज्यादा फेकल कोलीफॉर्म नहीं होना चाहिए, लेकिन यहां यह सीमा पार कर गया है।
यह रिपोर्ट केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) को सौंपी है। NGT ने इस रिपोर्ट पर गहरी चिंता जताई और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को फटकार लगाई है। इसके साथ ही, NGT ने अधिकारियों से यह सवाल किया कि इस स्थिति में सुधार के लिए वे क्या कदम उठा रहे हैं। इस पर अगली सुनवाई 19 फरवरी को होनी है।
प्रयागराज महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालुओं का आगमन हो रहा है, और हर दिन लाखों लोग गंगा और यमुनाओं में डुबकी लगाते हैं। मेला प्रशासन ने अनुमान जताया है कि अब तक करीब 54 करोड़ से ज्यादा लोग इस पवित्र स्नान में शामिल हो चुके हैं। यह आंकड़ा बेहद चिंताजनक है, क्योंकि प्रदूषण का स्तर बढ़ने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी को शुरू हुआ था और 26 फरवरी तक जारी रहेगा। इस बीच यह जानकारी सामने आई है कि 54 करोड़ लोग अब तक स्नान कर चुके हैं। यह संख्या और भी बढ़ सकती है, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार पानी की गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता है। इस पर अगले हफ्ते NGT में सुनवाई होगी, जिसमें संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया जाएगा।
दिल्ली की यमुनाओं और गंगा में भी अक्सर प्रदूषण की समस्या सामने आती रही है। औद्योगिक और सीवेज पानी का मिलना इन नदियों के पानी की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। हालात इस समय चिंता जनक बने हुए हैं। ऐसे में, महाकुंभ में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को यह जानने की जरूरत है कि पानी की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जा रहा है।
19 फरवरी को एक और सुनवाई होगी, जिसमें NGT यह जानना चाहेंगे कि इस समस्या को लेकर अधिकारी क्या कदम उठा रहे हैं। आने वाले समय में इस पर और भी जानकारी साझा की जाएगी, जिससे श्रद्धालु और प्रशासन दोनों को सही कदम उठाने में मदद मिल सके।